मर्दांगी पर सवाल करने होंगे, पुरुष मानसिकता में लड़कियों को वस्तुओ की तरह समझने की प्रवर्ती को तोड़ना होगा। लड़कियो को सिर्फ वासना, मनोरंजन की हद तक देखने और सड़को पर रोज़ाना बत्तमीजी के साथ छेड़ते हुए, बहुत सी जगह पर उनके साथ ज़्यादती करने वालो को अब बक्श न जाये। लड़कियों के बलात्कारों और उनके साथ हो रहे अत्याचारों के लिए पूरी पित्रसत्ता, राजनैतिक वयस्था दोषी है। इन सब को भी सज़ा दी जाये। यह बहस छात्राओ ने पूरे देश मे महिलाओ के साथ बड़ते बलात्कार और अत्याचारों के विरोध मे प्रदर्शन करते हुए कहे।
क्रिटीक फिरोज़पुर चैप्टर एवं फिलोसोफिकल सोसाइटी द्वारा आयोजित रोष प्रदर्शन में बी एस सी प्रथम वर्ष की छात्रा वीरदविंदर कौर ने कहा कि पूरे समाज में घरों में लड़कियों को हमेशा दबा कर रखा जाता है। सुरक्षा का हवाला दे कर उन पर हर जगह पहरे रखे जाते है लेकिन घर के लड़को पर कभी न कोई पहरा देता है ना उनसे पूछा जाता है कि वो कहाँ जाते है क्या करते है।
बी एस सी द्वितीय वर्ष की छात्रा रमनप्रीत कौर ने कहा कि दिल्ली मे इस घटना के लिए मर्द प्रधान समाज क्या कहेगा, अब कौन सी पशचिमी सभ्यता का हवाला दिया जायेगा। लड़कियों को जहाँ पढने कि इजाज़त सिर्फ एक सीमित दायरे तक दी जाती हो और जहाँ उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने के लिए कभी उत्साहित ना किया जाता हो, जहाँ घर सँभालने की ज़िम्मेदारी का ही सिर्फ बचपन से एहसास करवाया जाता हो वहाँ लड़कियां अपनेआप को सुरक्षित रखने मे आत्मनिर्भर कैसे बनेंगी। अब समय आ गया है जब परिवार में लड़के - लड़कियों की समानता के साथ परवरिश हो। लड़को से भी सवाल हो, उन्हें लड़कियों के प्रति सम्मान को शुरू से सिखाया जाये। हर उस सोच पर सवाल हो जहाँ लड़कियों को ग़ैरज़िम्मेदार और कमज़ोर समझा जाये।
बी एस की द्वितिय वर्ष की छात्रा वीरपाल ने कहा कि समाज मे लड़कियों के साथ हो रहे अन्याय को समान तरीके के साथ जिला प्रशासन तुरन्त कार्यवाही करे। यह एक लम्बी लड़ाई है जो समाज में रह कर अब लड़कियों को सक्रिय हो कर लड़नी होगी।
A voice within the Democratic set up of our society raising issues which strengthen democracy, communal harmony and work to build a society where there is equality in real sense.
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